समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कौन कहता है के मरने के बाद कोई याद नहीं करता मुझे अच्छा नही लगता अपनी सांसों से जुदा होना।। जैसे कोई खूबसूरत जगह हो हसीन शाम के साथ। नज़र में ज़ख़्म-ए-तबस्सुम छुपा छुपा के मिला, अब आइए शे’र के भावार्थ पर https://hindishayri.godaddysites.com/f/shayari-in-hindi---%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%B0%E0%A5%80